नारी-प्रेम त्याग का प्रतिबिंब है नारी संसार की जननी है नारी समाज के सांस्कृतिक चेहरे का दर्पण होती हैं वह जन्मदात्री भी है और सृष्टि सृजन करती है जीवन की समूची रस-धार उसी पर आधारित है वात्सल्य, स्नेह, कोमलता, दया, ममता, त्याग, बलिदान का प्रतिमूर्ति है नारी..!
किसी भी देश काल संस्कृति को जानने के लिए सबसे पहले आप उस संस्कृति में नारी के हालात को जानने का प्रयास करे -नारी के बैगेर मनुष्य जीवन रसहीन और अपूर्ण ही कहा जा सकता है लेकिन आज के बदलते हुए परिवेश में नारी की असल सूरत को पहचान पाना बहुत ही मुश्किल हो गया हैं-
चूँकि मेरा तथ्य वर्तमान सामाजिक संदर्भ में है -नारी की दशा और दिशा में एक बहुत ही क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है चूँकि कोई भी समाज एक जगह स्थिर नहीं रहता हर पल बदलता रहता हैं बदलते समाज में आज नारी चेतना का युग कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी-
इक्कीसवीं शताब्दी में भारतीय नारी अबला नहीं सबल और प्रगतिशील होती जा रही है और दिनों दिन विकास के पथ पर अग्रसर है तकनीक और विज्ञान से लेकर सभी जगह नारी को आज देखा जा सकता है आज धीरे-धीरे उनकी उपलब्धियां बढती जा रही है-
राजाराम मोहन राय ने नारियो को प्रगति और उत्थान के प्रेरित करने का कार्य किया था उस समय राजाराम मोहन राय और महात्मा गांधी द्वारा किये गये प्रेरणा स्वरूप योगदान का परिणाम आज देखने को मिल रहा है और आज नारी की स्थिति में एक बहुत बड़ा बदलाव आया है आज नारी असहाय और अबला नहीं है-
मातृत्व, उसकी सबसे बड़ी साधना है सभी गुण-एक साथ नारी में समाहित हैं इसका सीधा आशय यह हैं कि उस देश का समाज एक उन्मुक्त समाज हैं जिसमे नारी का मान-सम्मान है अब हमारे देश में 8 मार्च ‘विश्व महिला दिवस’ के रूप में मनाया जाता है-
जहां-जहां नारी दिशा बोध डगमगाया है वहीं उसका पतन भी चरम पर पहुंचा है पश्चिमी सभ्यता के संक्रमण के कारण जहां नारी-जीवन में विविध बदलाव आये हैं वहां यौन शुचिता भी संक्रमित हुई है यथार्थ के नाम पर नग्नता को अपनाया जा रहा है- टी.वी. चैनलों पर प्रसारित धारावाहिकों में नारी को अलग रूप में दिखाया जा रहा हैं जो धीरे-धीरे पूर्ण समाज का सत्य बनता जा रहा है षड्यंत्रकारी भूमिका में नारी का के पर्दे चित्रण हो रहा है जो वास्तविक जीवन में अपने पांव पसार चुका है- निःसंदेह आज नारी को समानाधिकार प्राप्त हैं लेकिन फिर भी वह दहेज की खातिर जलाई जाती है तथा कदम-कदम पर तिरस्कृत होती है-
आज की नारी ने अपनी संकीर्ण विचारधारा को त्याग कर अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा कर लिया है तथा वह पति के ऑफिस की समस्याओं को न केवल भली प्रकार समझती है बल्कि उस समस्या को दूर करने में पति का हर संभव साथ भी देती है-
आज की नारी में उसके व्यवहार, बोलचाल, में आश्चर्यजनक परिवर्तन आये हैं तथा उसकी उपलब्धियां भी बढ़ी हैं नए-नए विषयों को जानने का उत्साह भी बढ़ा है अब वह किसी भी समसामयिक विषय पर अपने पति के साथ-साथ किसी बाहरी व्यक्ति के साथ भी सफलतापूर्वक सलाह-मशवरा कर सकती है इस से न केवल पति बल्कि और लोगों की नज़रों में भी इनका मान कई गुना बढ़ गया है-
आज अगर नारी जीवन की उपेक्षा होती हैं ऐसे में हम मनुष्य भी नहीं रह सकेंगे -मातृ शक्ति को हर रूप में समानता देनी होगी ऐसा नहीं हुआ तो असंतुलन होगा -हमे कोशिश करनी होगी बेटियों को बचाने की और नारी शक्ति का सम्मान करने की....
जीवन-शैली-
जहां-जहां नारी दिशा बोध डगमगाया है वहीं उसका पतन भी चरम पर पहुंचा है पश्चिमी सभ्यता के संक्रमण के कारण जहां नारी-जीवन में विविध बदलाव आये हैं वहां यौन शुचिता भी संक्रमित हुई है यथार्थ के नाम पर नग्नता को अपनाया जा रहा है- टी.वी. चैनलों पर प्रसारित धारावाहिकों में नारी को अलग रूप में दिखाया जा रहा हैं जो धीरे-धीरे पूर्ण समाज का सत्य बनता जा रहा है षड्यंत्रकारी भूमिका में नारी का के पर्दे चित्रण हो रहा है जो वास्तविक जीवन में अपने पांव पसार चुका है- निःसंदेह आज नारी को समानाधिकार प्राप्त हैं लेकिन फिर भी वह दहेज की खातिर जलाई जाती है तथा कदम-कदम पर तिरस्कृत होती है-
आज की नारी ने अपनी संकीर्ण विचारधारा को त्याग कर अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा कर लिया है तथा वह पति के ऑफिस की समस्याओं को न केवल भली प्रकार समझती है बल्कि उस समस्या को दूर करने में पति का हर संभव साथ भी देती है-
आज की नारी में उसके व्यवहार, बोलचाल, में आश्चर्यजनक परिवर्तन आये हैं तथा उसकी उपलब्धियां भी बढ़ी हैं नए-नए विषयों को जानने का उत्साह भी बढ़ा है अब वह किसी भी समसामयिक विषय पर अपने पति के साथ-साथ किसी बाहरी व्यक्ति के साथ भी सफलतापूर्वक सलाह-मशवरा कर सकती है इस से न केवल पति बल्कि और लोगों की नज़रों में भी इनका मान कई गुना बढ़ गया है-
आज अगर नारी जीवन की उपेक्षा होती हैं ऐसे में हम मनुष्य भी नहीं रह सकेंगे -मातृ शक्ति को हर रूप में समानता देनी होगी ऐसा नहीं हुआ तो असंतुलन होगा -हमे कोशिश करनी होगी बेटियों को बचाने की और नारी शक्ति का सम्मान करने की....
जीवन-शैली-
from जीवन-शैली http://www.jeevanshaeli.com/2016/04/respect-women.html
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